तेरे द्वार से बाबा दरबार से कभी भी कोई भी खाली ना गया

तेरे द्वार से बाबा दरबार से, तेरे द्वार से बाबा दरबार से
कभी भी कोई भी खाली ना गया
जिसे जो चाहा वो मिल गया हो जिसने जो चाहा वो मिल गया

सर पर मेरे हाथ तेरा डरने की क्या फिर है बात
तेरे द्वार से मिली है बाबा मुझको हर सौगात
जब से तू मिला जीवन खिला महका हुआ उपवन मिला
और बताऊं क्या बाबा खिल उठा ये संसार
पल-पल में तुझको ही ध्यायु
तेरे द्वार से बाबा दरबार से
कभी भी कोई भी खाली न गया
जिसने जो चाहा वो मिल गया जिसे जो मांगा वह मिल गया

जीना नहीं मुझे तो चरणों से अब दूर होके
सब कुछ भुलाना है मुझको तेरी भक्ति में खोके
तेरी पूजा ही मेरा प्राण है तेरे चरणों में कल्याण है
सुन ले मेरे श्याम अब तो इन धड़कनों की सदा
अब ना तेरा दर छोड़ूं
तेरे द्वार से बाबा दरबार से कभी भी कोई भी खाली न गया
जिसने जो चाहा वो मिल गया जिसने जो मांगा वो मिल गया

ललित शर्माफोजी
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