हमारे हैं साँवरिया सेठ , हमें किस बात की चिन्ता
साँवरिया को रहे हरदम, मेरी हर बात की चिन्ता
किया करते हो क्यों दिन रात, बिना ही बात की चिन्ता हमारे हैं साँवरिया सेठ ,
हमें किस बात की चिन्ता
हमारे हैं साँवरिया सेठ , हमें किस बात की चिन्ता
भगत नरसी का भर के भात, बन गये भातई प्यारे,
पोटली ले सुदामा की, प्यार से चावल भी खाए
इन्ही के हाथ में है हाथ, हमें किस बात की चिन्ता हमारे हैं साँवरिया सेठ, हमें किस बात की चिन्ता
कहीं पर नन्दा बन करके भगत के चरण भी दाबे
स्वयं का प्रण भले टूटे, भगत का मान ना जाये
न है इस बात की चिंता, न है उस बात की चिंता
हमारे हैं साँवरिया सेठ ह्में किस बात की चिन्ता
आये हैं बृज से बृजवासी, तुम्हे रिझाने को प्यारे
लगाये भोग छप्पन हैं, मनाने को तुम्हे प्यारे
तुम्हारा कर रहे गुणगान, हमें किस बात की चिन्ता हमारे हैं साँवरिया सेठ, हमें किस बात की चिन्ता
भरोसा है हमें इनका, पड़े हैं ~ इनकी गोदी में,
रखें जिस हाल में हमको, हमें किस बात की चिन्ता
साँवरिया को रहे हरदम, मेरी हर बात की चिंता
किया करते हो क्यों दिन रात बिना ही बात की चिन्ता
हमारे हैं साँवरिया सेठ , हमें किस बात की चिन्ता
हमारे हैं साँवरिया सेठ, हमें किस बात की चिन्ता !!’