तर्ज - मनिहारी का भेष बनाया
आई आई जी शिला शालिग्राम की
इससे मूरत बनेगी श्री राम की
भाग्यशाली ये पत्थर है कितना बड़ा
कोटी बरसों था गंडक नदी में पड़ा
रंग लाई जी किस्मत पाषाण की
इससे मूरत बनेगी श्री राम की
ये शिला राम रूप में ढल जायेगी
ये जन्मों जन्म तक पूजी जायेगी
होगी पहचान ये अवध धाम की
इससे मूरत बनेगी श्री राम की
अब सनातन धरम की जैकार होगी
हर हिन्दू की एक ही पूकार होगी
जय राम सियाराम जय राम की
इससे मूरत बनेगी श्री राम की
राम सीता लखन और भरत शत्रुघन
इनके चरणों मे बैठेंगें वीर हनुमन
होगी गोपाल पूजा आठो याम की
इससे मूरत बनेगी श्री राम की
हेमन्त गोयल गोपाल