जप जप के सीता राम मेरा काम हो गया,
तुम नाम था मशहुर मेरा नाम हो गया,
जप जप के सीता राम ........
जिस दिन से चड़ा नाम का सचा नशा मुझे
झुक कर सलाम करने बादशाह मुझे,
जब से मैं सीता राम का गुलाम हो गया,
जप जप के सीता राम .............
मंदिर में मन के रख के शवि सीता राम की,
सची लगन से प्राथना जब सुबह शाम की,
मन मेरा सीता राम जी का धाम हो गया
जप जप के सीता राम ..............
मैं रीत तक्लक है अब जो मीत देखलो,
आराधना का फल ये चरनजीत देख लो,
कल क्या था और आज क्या मुकाम हो गया,
जप जप के सीता राम ............