जय सिया राम जय सिया राम,
घर भीलनी के आगे राम कुटियाँ निकी जही,
अपने राम को मैं कहा बिठाऊ,
कहा राम जी का आसन लगाऊ,
कहा करवाऊ विश्राम कुटियाँ निकी जही,
घर भीलनी के आगे राम कुटियाँ निकी जही,
कुशा घास का मैं आसन बनाऊ,
अपने राम जी को वाहा बिठाऊ,
रात करो विश्राम कुटियाँ निकी जही,
घर भीलनी के आगे राम कुटियाँ निकी जही,
राम जी आये संग लक्षमण आये,
रल मिल सब ने फूल बरसाए,
सब बोले जय जय कार कुटियाँ निकी जही,
घर भीलनी के आगे राम कुटियाँ निकी जही,
आपने राम को मैं खिलाऊ,
चुन चुन बेर मैं तो बाणों में से लाऊ,
भोग लगाओ राम कुटियाँ निकी जाही,
घर भीलनी के आगे राम कुटियाँ निकी जही,
खाटे मीठे बेरो का भोग लगाया,
अपने राम जी का दर्शन पाया,
पूरण होगे काम कुटियाँ निकी जाही
घर भीलनी के आगे राम कुटियाँ निकी जही,