मेरे चिन्तन में आके बसो लाडली


मेरे चिंतन में आके बसो लाड़ली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
तुम हो करुणा की सागर बहो लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे....

1.आंख खोलूं तो ऊंची अटारी दिखे,
आंख मुंदू तो श्यामा जू प्यारी दिखे
तेरी करुणा के रस में बहुं लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे चिंतन में आके बसो लाड़ली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
तुम हो करुणा की सागर बहो लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे....

2.मेरे भावों को कर‌ देना सांचों प्रिये,
मेरी जिव्हा पे नाम बन नाचो प्रिये
रस की सागर हो तुम‌ अब रसों लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे चिंतन में आके बसो लाड़ली,फिर भले
कुछ भी देना ना देना मुझे
तुम हो करुणा की सागर बहो लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे....

3.भाव में कैसे डुबूं बता दिजिये,
प्रेम होता है क्या ये सिखा दिजिये
मैं रुदन में रहूं तुम हंसों लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे चिंतन में आके बसो लाड़ली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
तुम हो करुणा की सागर बहो लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे....

4.नाम ऐसा जपूं मुझमें आवेश‌ हो,
तेरी लीला में मेरा भी परवेश हो
हरि दासी की हालत लख़ो लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे चिंतन में आके बसो लाड़ली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
तुम हो करुणा की सागर बहो लाडली,
फिर भले कुछ भी देना ना देना मुझे
मेरे....
श्री हरिदास निष्काम संर्कींतन
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