ये वृंदावन है प्यारे यहां,
सोच समझकर आना
ये है पागल खाना ,प्यारे
ये है पागल खाना
आने से पहले अपनी,
मती छोड़ कर आना
ये है पागल खाना ,प्यारे
ये है पागल खाना
बीमारी यहाँ की लग गई तो, इलाज नहीं है कोई ।
बृज की बांकी गलियों में,
बहुत सी हस्ती खोई
शमा पर जलता जैसे
कोई कोई परवाना
ये है पागल खाना ,प्यारे
ये है पागल खाना
चितचोर कन्हैया रहता,
रहता वस्त्र चुराया
टोली के संग माखन चोरी,
करता नाग नथिइया
कजरारी आंखों से कन्हैया
बुनता ताना बाना
ये है पागल खाना ,प्यारे
ये है पागल खाना
कर परिक्रमा हाथ मे माला,
राधे राधे करना
अपनी धुन में डोले दीवाने,
चित राधे का धरना
गोपाल यहाँ की बोली खारी,
बात बात में ताना
ये है पागल खाना, प्यारे
ये है पागल खाना
हेमन्त गोयल गोपाल