राधे राधे बोल कृष्ण आयेंगे यहीं |
मन वृन्दावन होवे, तू उसमें निज को खोवे ।
राधे राधे बोल कृष्ण आयेंगे यहीं ।।
कितने जीबन बीत चुके हैं,
हाय तेरे जग भोगों में ।
कितने युग बरबाद किये तू ,
जन्म मरण अरु रोगों में ।।
अब भी दिल से हरि कीर्तन, क्या गाओगे नहीं ।
राधे राधे बोल कृष्ण आयेंगे यहीं ।।
कब तक सोयेगा रे भाई,
झूठ कपट क्या अच्छा है ।
धन हित पापाचार करे तू ,
संग्रह में क्या रक्खा है ।।
बिना त्याग के श्री हरि को तुम भाओगे नहीं ।
राधे राधे बोल कृष्ण आयेंगे यहीं ।।
त्याग तपस्या मय करु जीवन,
भूलो नहीं जमाने में ।
युग युग बीत गये रे भाई,
हाय तुझे समझाने में ।।
बिनु सत्संगति देवादास हरि पाओगे नहीं ।
राधे राधे बोल कृष्ण आयेंगे यहीं ।।
भजन रचना : प. पू. गुरुदेव श्री स्वामी देवादास जी महाराज ।
स्वर : सियाराम जी ।