आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे आज विनायक मेरे आँगन पधारे

आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे, आज विनायक मेरे आँगन पधारे
स्वागत तुम्हारा हे गणराजा, जागे हैं भाग हमारे

पूरे बरस राह हमने तकि, तब आज आई है ये शुभ घडी
चारों तरफ रोशनी है सजी
आसान बिछाया बड़े चाव से, मंदिर सजाया बड़े भाव से
जिसमे जले धूप-दीप-आरती ||1||
आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे, आज विनायक मेरे आँगन पधारे


अद्भुत तेरा रूप है गजवदन, दर्शन किये थे भरे ना नयन
जी चाहे पल पल निहारा करूँ
सिंदूरी टीके से जगमग है भाल, कानों में कुण्डल नयन दो विशाल
सुमिरन सदा मैं तुम्हारा करूँ ||2||
आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे, आज विनायक मेरे आँगन पधारे


जय हे चतुर्भुज तुम्हारी दया, जिसको मिली धन्य वो हो गया
जीवन में उसके रही ना तरस
इतना की बस मांगे वरदान हम, करते रहें तेरा गुणगान हम
सेवा का अवसर मिले हर बरस ||3||
आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे, आज विनायक मेरे आँगन पधारे
स्वागत तुम्हारा हे गणराजा, जागे हैं भाग हमारे

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