मेेरे कृष्णा मेरे श्याम रे आजा कब से पुकारू तेरा नाम रे

तर्ज :- आजा तुझको पुकारे मेरे गीत रे मेरे मीत रे

मेरे कृष्णा मेरे श्याम रे
आजा कब से पुकारू तेरा नाम रे

मथुरा में ढूंढा मेने गोकुल में ढूंढा
उज्जैन जाके तुझे गुरूकुल में ढूंढा
खोजत तुझको वर्षो गुजर गई
फिर भी रहा ना काम रे
आजा कब से पुकारे तेरा नाम रे
मेरे श्याम रे

सांवली सूरत को तरसे है अंखिया
काटे कटे ना मेरी वैरन ये रतिया
कोई तो जाए जो तुमको सुनाए
मेरा ये पैगाम रे
आजा कब से पुकारू तेरा नाम रे
मेरे श्याम रे

सूना है आंगन है सुना जमाना
हर दर फिरे है तेरा पागल दीवाना
टूट गया हूँ मैं हार गया हूँ
कोशिश करके तमाम रे
आजा कब से पुकारू तेरा नाम रे
मेरे श्याम रे

गमगीन आलम है उजडे चमन में
दर्शन कि चाहत लगी मेरे मन में
छाई उदासी रूपगिरी के
दिल में आठो याम रे
आजा कब से पुकारू तेरा नाम रे
मेरे श्याम रे

लेखक एवं गायक -रूपगिरी वेदाचार्य जी
7792077568

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