ज़िन्दगी का सफ़र करने वाले अपने मन का दीया तो जला ले,
रात लम्बी है गहरा अँधेरा,
कौन जाने कहा हो सवेरे,
तू है अनजान मंजिल का राही,
चलते रहना ही है काम तेरा,
रोशनी से डगर जगमगा ले,
अपने मन का दीया तो जला ले,
सुनी सुनी है ये मंजिल की राहे,
चूमना तेरे कदमो को चाहे,
गहन वन में कही खो न जाना,
भटक जाये न तेरी निगाहे,
हर कदम तू सोच के उठा ले ,
अपने मन का दीया तो जला ले,