सुन सुन है म्हारी काया ऐ लाड़ली
काया के दाग़ लगाए मत ना
कुसंगत मे जाये मत ना
या काया थारी हीरा वरणी
हीरा मे कांकरा मिलाये मत ना
कुसंगत मे जाये मत ना
या काया थारी मोती वरणी
मोती को पानी गवाए मत ना
कुसंगत मे जाये मत ना
या काया थारी कोयल वरणी
कोयल से कागा बनाये मत ना
कुसंगत मे जाये मत ना
या काया थारी हंसा वरणी
हंसा से बुगलो बनाये मत ना
कुसंगत मे जाये मत ना
कहत कबीर सुनो भाई साधो
सांता को साथ गावाये मत ना
साधा को साथ गावाये मत ना
कुसंगत मे जाये मत ना