राधे राधे गोविंद राधे, राधे राधे राधे।
तुम भी नहिं भूलो मोहिं पल छिन आधे,
मैं भी न भूलूँ तोहिं राधे, राधे राधे राधे।
तुम बिनु जिउँ नहिं इक छिन राधे,
ऐसी बना दे मोहिं राधे, राधे राधे राधे।
भली हूँ बुरी हूँ जो हूँ तेरी ही हूँ राधे,
प्यार करो या मारो राधे, राधे राधे राधे।
तू ही तो है मेरी गति मति रति राधे,
तेरे सिवा कोइ नहिं राधे, राधे राधे राधे।
तेरे तो हैं अगनित भक्त जन राधे,
मेरी तो है इक तू ही राधे, राधे राधे राधे।
मुझ से पतित यदि होते नहिं राधे,
तेरे द्वार आता कौन राधे, राधे राधे राधे।
तुमको पतित-पावनि लखि राधे,
किये मनमाने पाप राधे, राधे राधे।
तेरे ऋण उऋण न होइ सक राधे,
अगनित जनमहुँ राधे, राधे राधे राधे।
तेरे नाम में हैं तेरी शक्ति सब राधे,
अस विश्वास दिला दे राधे, राधे राधे राधे।
जनमहुँ पुनि पुनि तेरे ब्रज राधे,
करूँ नित राधे राधे राधे, राधे राधे राधे।
जग शिशु माता के भरोसे रहे राधे,
हम हैं भरोसे तेरे राधे, राधे राधे राधे।
राधे राधे गाऊँ नित ध्याऊँ नित राधे,
पुनि चाहे नरक दिला दे राधे, राधे राधे राधे।
यह वर माँगूँ वरदायिनि राधे,
माँगूँ नहिं कभु कछु राधे, राधे राधे राधे।
ध्यावुँ नित युगल चरण तव राधे,
गाउँ नित राधे राधे राधे, राधे राधे राधे।
तेरा सुख बनि जाय मेरा सुख राधे,
ऐसी मेरी सुमति बना दे राधे, राधे राधे राधे।
अगनित अधमन अपनाया राधे,
अपना 'कृपालु' को भी राधे, राधे राधे राधे।
पुस्तक : युगल शतक
पृष्ठ संख्या- 189
कीर्तन संख्या- 78