दुःखियों को तारने वाले,
ऐसे मिल पाते हैं कहाँ ?
कैसे गाऊँ उनकी गाथा,
जो प्राणी है इतने महाँ ।।
जो बिछुड़ते राह दिखाता,
जो दुःखियों के कष्ट मिटाता ।
जो दुखियों का बने सहारा,
वो सबका होता है प्यारा ।।
ऐसे दीनों के रखवाले,
ऐसे मिल पाते हैं कहाँ ?
दुःखियों को....
जो किसी का अहित न करता,
सबसे ही जो प्रेम है करता,
जो मिले खुशी से सबसे,
जिसने प्रेम किया है जग से ।।
प्रेमी-निर्मल हिरदय वाले,
ऐसे मिल पाते हैं कहाँ ?
दुःखियों को....
सेवा का जो मर्म समझता,
दुःख हरना धर्म समझता ।
प्रभु को देखे सबके अन्दर,
जिसमें भक्ति का है समन्दर ।।
कान्त प्रभु को पाने वाले,
ऐसे मिल पाते हैं कहाँ ?
दुःखियों को....
भजन रचना एवं सुमधुर स्वर :-
दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।