मुरली वाले कृष्ण कन्हिया जी ना लगे,
संवारे जल्दी आना के जी ना लगे ,
छोड़ो अब तरसना की अब जी ना लगे,
संवारे जल्दी आना के जी ना लगे ,
सुनले बेदरदी अब रहने दे हमें दर्दी,
चला आ रे वन वन फिरू मैं तेरी खातिर जी ना लगे,
संवारे जल्दी आना के जी ना लगे ,
तूने बंसी मधुर बजाई,
सखियों संग रास रचाई चला आ रे,
अब तो दरस दिखा दे मोहन जी ना लगे,
संवारे जल्दी आना के जी ना लगे .....