कान्हा का रूप

गोकुल में खुशियां छाई है, अज जन्मे कृष्ण कन्हाई है,
अज जन्मे कृष्ण कन्हाई है, हर तरफ ये खुशिया छाई है ॥
गोकुल में खुशियां छाई है.....

है सावला कान्हा का मुखड़ा, और मंद मंद ये मुस्काये,
देखो इतराकर बलखाकर ये सबके मन को हर्षाये,
इस प्यारे मोहक मुखड़े ने, इस प्यारी सावली सूरत ने,
हर दिल मे जगह बनाई है, हर दिल मे जगह बनाई है
गोकुल में खुशियां छाई हैं....

है नैन इसके कजरारे, और बाल बड़े घुंघराले है,
हाथ में उसके मुरलिया है, और बड़ी मधुर ये तान सुनाते है
सुनने को मुरली की ताने, ये सारी दुनिया आई है
गोकुल में खुशियां छाई हैं....

मटकी से चुराकर माखन को, देखो रज के ये खाते है,
ग्वाल बाल मित्रो संग मिलकर, ये तो धूम मचाते है,
ज़िन्दगी ये सबकी सजाई है, रंग अपने मे दुनिया रँगाई है
गोकुल में खुशियां छाई हैं......
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