धुन- दीदी तेरा देवर दीवाना
कान्हा छोड़ो, माखन चुराना ॥
मेरे लाल, किसी के घर ना जाना ॥
ना दूध की, कमी है, ना दहीयाँ की, कमी है ।
तो माखन, चुराने की, तुम्हें क्या पड़ी है ॥
तुझे समझाया, फिर भी न माना ॥
मेरे लाल, किसी के घर ना जाना...
कान्हा छोड़ो, माखन चुराना...
न ग्वालो की, कमी है, न गोपियों की, कमी है ।
तो राधा संग, जाने की, तुम्हें क्या पड़ी है ॥
तुझे समझाया, फिर भी न माना ॥
मेरे लाल, किसी के घर ना जाना...
कान्हा छोड़ो, माखन चुराना...
ना खेल की, कमी है, ना खिलोनो की, कमी है ।
तो यमुना, पे जाने की, तुम्हें क्या पड़ी है ॥
तुझे समझाया, फिर भी न माना ॥
मेरे लाल, किसी के घर ना जाना...
कान्हा छोड़ो, माखन चुराना...
अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल