है नन्दलाल जय नन्दलाल जय गोपाल

है नन्दलाल जय नन्दलाल जय गोपाल,
जय नन्दलाल जय गोपाल,

इन प्राणों के भीतर गूंजा नही,
मुरली ध्वनी का घनघोर वो कैसा,
नही अमृत ओई कर तृप्त हुआ,
मुख चन्दन का रहता चकोरी कैसा,
मुझ पापी को तारा नही अब भी,
पतितो को उबारने का जोर ये कैसा,
मन माखन मेरा चुराया नही,
मन मोहन माखन चोर तू कैसा,

है नन्दलाल हे नन्दलाल हे नंदलाल.....

दिल में दिल में भी समाई हुई है मूरत वो घनश्याम तेरी,
इन प्राणों के भीतर गूंज रही है,
मुरली धवनी घंगोर तेरी,
करते करते हम हार गये,
हम हार गये तुम जीत गए
मन मोहन यु मने हार तेरी,
पर सुंदर श्याम तू रिझा नही बल्हारी तेरी बलहारी तेरे,

है नन्दलाल जय नन्दलाल......

जिसने रथ हां का था पारथ रथ का,
वो त्याग मई अनुरति कहा है,
करदे मन प्राण नोशावर जो वो प्रेम मई अब भक्ति कहा है ,
किस्मे है पर्लाहद सी है प्रगत धुर्व की धुर्वता वो भलती कहा है,
भगवन खड़े है आने को पर भगतो में वो भगती कहा है,
है नन्दलाल जय नन्दलाल............
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