खुशियों की मची है लूट
माँ के दरबार में
आजा आजा जल्दी आजा
जाए ना कुछ भी छूट
माँ के दरबार में
खुशियों की मची है लूट
माँ के दरबार में..
मैया के दर पे मिलता है खजाना
चाहिए तो होगा तुझे आना
खुद ही मिल जाएगा तुझे सबूत
माँ के दरबार में
आजा आजा जल्दी आजा
जाए ना कुछ भी छूट
माँ के दरबार में
खुशियों की मची है लूट
माँ के दरबार में...
बड़ा खूब होता है माँ के दर पे नजारा
बहती है चरणों में इनके अमृत की धारा
आजा पी जा तू भी दो दो घूंट
माँ के दरबार में
आजा आजा जल्दी आजा
जाए ना कुछ भी छूट
माँ के दरबार में....
राजीव की है एक एक बात बड़ी सच्ची
खूब खूब खरी कहता है बड़ी अच्छी
तू समझना ना कुछ भी झूठ
माँ के दरबार में
आजा आजा जल्दी आजा
जाए ना कुछ भी छूट
माँ के दरबार मे
खुशियों की मची है लूट
माँ के दरबार में....
©राजीव त्यागी