भजन :- कब से तुम्हें पुकारूं
कब से तुम्हें पुकारूं फरियाद सुन ले मेरी
मोहन् तु जल्दी आना कहीं हो न जाए देरी
दर दर भटक रहा था दुनिया का मैं सताया
न चैन न मुहब्बत मेरे नसीब आया
दीनो की सुनने वाले मुझको तलाश तेरी...मोहन तु
मेरे आंसुओं का दरिया कोई नही सहारा
डोले यह मेरी नैया मिलतां नही किनारा
अब आ के तुम बचा लो डूबी यह कश्ती मेरी...मोहन तु
इस पार रह सका न उस पार जा मैं पाया
मुझको मिली न मंजिल तब शरण तेरी आया
रस्ता मुझे दिखा दो अंधियारी राहें मेरी...मोहन तु
कब तक सताओगे तुम एक बार प्यारे आ जा
देखो सजी है महफिल रौनक तो अब बढ़ा जा
चेहरा ज़रा दिखा जा प्यासी है आंखें मेरी...मोहन तु
कर दो नजर दया की उपकार मुझ पे प्यारे
तोड़ो यह मोह के बंधन बक्शो गुनाह सारे
इस "श्याम" को बना लो चरणों की रज की ढेरी...मोहन तु
लेखक सुरेश सूद श्याम