हे गणेश गणराज गजानन
छमछम करता आवो जी
सभा मं रंग बरसावो जी
रणत भवन स आप पधारो
म्हारा बिगड़या काज सुधारो
मंगल साज सजावो जी
सभा मं रंग बरसावो जी।
सबसे पहली थान् मनांवां
हरष हरष थारा गुण गावां
लड्डुवन भोग लगावां जी
छमछम करता आवो जी।
रिद्धि सिद्धि न थे साग् ल्यावो
भगतांरो थे मान बढ़ावो
घर मं वास करावो जी
सभा मं रंग बरसावो जी।
भक्त मंडल थारा गुण गाव
कुंतल चरणां म शीश झुकाव
म्हारो मन हरषावो जी
छम छम करता आवो जी।