भजो राम सीता
भजो, राम सीता, भजो, राम सीता ॥
गोकुल, में भागवत, मथुरा में गीता ।
भजो, राम सीता, भजो, राम...
चौदह, बर्ष, बनवास बिताया ।
लँका, पति को, मार मिटाया
पंच वटी से, ले आए सीता ।
भजो, राम सीता, भजो, राम...
जब जब, धर्म की, होती हानि ।
मानस के, चोले में, आए ब्रह्म ज्ञानी ॥
अर्जुन को, ज्ञान दे, सुनाई थी गीता ।
भजो, राम सीता, भजो, राम...
राम भी, तुम हो, श्याम भी, तुम हो ।
भगवन, मुक्ति का, धाम भी तुम हो ॥
भक्तों, का तुमने, सदा मन है जीता ।
भजो, राम सीता, भजो, राम...
अब, कलयुग के, नाम खिवईया ।
नाम, सुमिर के, पार हो नईया ॥
भजन, बिना जीवन, व्यर्थ काहे बीता ।
भजो, राम सीता, भजो, राम...
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल