राम राम जय राजा राम पति दा पावन सीता राम,
राम राम जय राम राम जय राम राम जय राम,
भजमन राम चरण सुखदाई.....
जिहि चरनन से निकसी सुरसरि,
शंकर जटा समाई,
जटा संकरी नाम परयो है,
त्रिभुवन तारन आई,
भजमन राम चरण सुखदाई.....
जिन चरनन की चरन पादुका,
भरत रह्यो लवलाई,
सोइ चरन केवट धोइ लीने,
तब हरि नाव चलाई,
भजमन राम चरण सुखदाई....
सोइ चरन संत जन सेवत,
सदा रहत सुखदाई,
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी,
परसि परमपद पाई,
भजमन राम चरण सुखदाई.....
दंडक वन प्रभु पावन कीन्हो,
ऋषियन त्रास मिटाई,
सोई प्रभु त्रिलोक के स्वामी,
कनक मृग सँग धाई,
भजमन राम चरण सुखदाई.....
कपि सुग्रीव बंधु भय-व्याकुल,
तिन जय छत्र फिराई,
रिपु को अनुज विभीषण निसिचर,
परसत लंका पाई,
भजमन राम चरण सुखदाई.....
राम राम, राम राम, राम राम....
सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक,
सेष सहस मुख गाई,
तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु,
निज मुख करत बड़ाई,
भजमन राम चरण सुखदाई....