सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम,
मोर मुकुट कर धनुष विराजत
भृकुटी ललित ललाम
सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम,
चंचल चोर चपल चहूँ चितवत,
हर लिनेहूँ है राम,
सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम,
वेग चलो निरख निज नैनन,
मन हर्षित सुख धाम,
सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम,
रिझत राम, सिया भई व्याकुल,
देख विधाता बाम,
सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम,
नृिप दशरथ घर जनम लियो है,
अवध पूरी है धाम
सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम,
एक सँवरे और एक गोरे है,
सांवर है सुख धाम
सखी री मैं तो बगिया में देख आई राम