जयति जय गोविन्द माधव, जय जय राधे श्याम ।
पतितपावन मुक्तिकारक सांचा तेरो नाम ॥
जो मनुज आवे शरण, पावे अजर विश्राम ।
शुभ चरण की धुल से पूरण होवे काम ॥
जो भजन में ही रमे, मन को करे निष्काम ।
उसके जीवन में झरे आनंद आठों याम ॥
दीन बंधू हे दया माय, दीन को लो थाम ।
कृपा कर अपनाइए, दीजिये मंगल धाम ॥
राधा वल्लभ कृष्ण की शोभा है अभिराम ।
मोहिनी की इस छबि को कोटि कोटि प्रणाम ॥