चरण-शरण मधुराधिपति, श्रीवृषभानु-कुमारि।
करो हरण त्रय-ताप का, श्रीगोविन्द-मुरारि ॥
मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
अधर-मधुर मुख मधुर-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
हैं नयन, हास्य-भी-मधुर-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है वाणी-मधुर, चरित-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
हैं वसन-मधुर थिरकन-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है चाल-मधुर अरु भ्रमण-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
है मुरली-मधुर मधुर-पदरज, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
कर-कमल-मधुर, हैं चरण-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
है नृत्य-मधुर, सब सखा-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है गान, पान-भोजन-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
है शयन-मधुर है रूप-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है तिलक-मधुर, सब काम-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
जल मध्य तैरना अति-मधुरम, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है हरण-मधुर स्मरण-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
उद्गार-हृदय के मधुर-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है शान्ति-मधुर गुञ्जा-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
माला-मधुरम् यमुना-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
कालिन्दी-लहरें हैं मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
है नीर-मधुर अरविन्द-मधुर, मधुराधुपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
गोपियाँ-मधुर लीला-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
संयोग मधुर है भोग-मधुर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
है चितवन-मधुर कृपा-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
हैं गोप-ग्वाल गौएँ मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
रचना अति-मधुर दलन-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
परिणाम-दलन का भी मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
सब-कुछ मधुरम् मधुरम्-मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
बस एक 'अशोक' नहीं मधुरम्, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
हे दीनबन्धु करुणासागर, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे।
इस जग में कोई नहीं मेरा, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे॥
कर-कमल बढ़ा निज हृदय लगा, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ।
सुन भी ले अब राधा प्रियतम, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ॥
कह दो लेलें निज चरण-शरण, मधुराधिपते श्रीकृष्ण-हरे ।
वृषभानुनन्दिनी श्रीराधे, तव चरण 'अशोक' ये विनय करे ॥
वृषभानुनन्दिनी श्रीराधे, तव चरण 'अशोक' ये विनय करे ॥
(रचना- अशोक कुमार खरे)