वंदना करता रहू मैं

वंदना करता रहू मैं रात दिन श्री नाथ की,
जीवन सफल हो जाये उसका आये शरण जो आपकी,
वंदना करता रहू मैं.......

मोर मुक्त पीताबर धारी जन जन के आधार हो,
सब देवो में देव बड़े हो कृष्ण के अवतार हो,
जै श्री कृष्ण कहो सब मिल कर जय बोलो गिरिराज की,
वंदना करता रहू मैं........

गिरिवर धारी रास बिहारी नाम बहुत है आपके,
भाव से जो भी सेवा करता रक्षा करते आन के,
झोली में हीरा जो चमके वही तो है श्री नाथ जी,
वंदना करता रहू मैं.....

जय श्री नाथ की बोल रे मनवा गूंज चाहू और है,
यमुना तट बंसी वत गए मधुरा में यही शोर है,
नाच उठे गलियां और उपवन प्रगटे जब श्री नाथ जी,
वंदना करता रहू मैं...........

गोपी जन भलव कहलाये भक्तो के मन भा गये,
दर्शन करके जतीपूरा में सबके मन हरसा गये,
श्री जी मेरे एसे रसिया सबके पालनहार जी,
वंदना करता रहू मैं............
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