गौरि नंदन हे दुःख भंजन श्रीगणेश

गौरि नंदन, हे दुःख भंजन श्रीगणेश तुम्हारा क्या कहना,
मंगल-मूरत हे सिद्धि सदन, मंगल मूरत हे सिद्धि-सदन,
तुम आन हृदय मेरे रहना, गौरि नंदन हे दुःख भंजन,

सिर मुकुट-शशी, गल-रत्नहार, कर विघ्नपाश शोभा पाता,
इक कर-मध्ये मोदक या वेद, इक कर अशीष जग को भाता,
इक कर-मध्ये शोभित कुठार, इक कर-मध्ये शोभित कुठार,
दुष्टों का दलन करते रहना, गौरि-नंदन, हे दुःख-भंजन,

गज-बदन विनायक लम्बोदरं, हे सूपकर्ण मूषक-वाहन,
सेवा में सिद्धि-बुद्धि सदा, सुर-नर-मुनि करते आवाहन,
हे विद्या-वारिधि विघ्न, हरो, हे विद्या-वारिधि विघ्न, हरो,
हूँ शरण दया मुझ पै करना, गौरि-नंदन, हे दुःख-भंजन,

श्रीगणेश तुम्हारा क्या कहना, मंगल-मूरत हे सिद्धि-सदन,
मंगल-मूरत हे सिद्धि-सदन, तुम आन हृदय मेरे रहना,
गौरि-नंदन, हे दुःख-भंजन,

    (गीत रचना- अशोक कुमार खरे)
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