जय हो महासर धाम की,
जय हो माँ के नाम की,
लो आ गया मेला तेरा सब नाचते छम छम,
हाथो में लेके निशान चले है,
हम तो अपनी मैया के गांव चले है,
जय हो महासर धाम की,
जय हो माँ के नाम की,
खुशबु उड़ावे महासर की मिटी,
महासर वाली की आई है चिठ्ठी,
मन में उठी है ऐसी उमंग,
पाने तेरा हम देदार चले है,
हम तो अपनी मैया के गांव चले है....
चैत्री महीना रंग रंगीला,
कुल देवी का द्वार सजता सजीला,
करलो सारे मिल के जतन,
होकर के सारे बेकरा चले है,
हम तो अपनी मैया के गांव चले है....
चार दिनों तक संग में रहेगे,
हम सारे मैया के रंग में रहेगे,
गायेगे हम सब तेरे भजन,
भूल के सारा घर वार चले है.
हम तो अपनी मैया के गांव चले है....
हर दम हमें बस यही बलाना,
इस श्याम को न तुम दिल से भूलना,
करता हु चरणों में नमन तेरे नमन,
आशा यही लेके दरबार चले है,
हम तो अपनी मैया के गांव चले है....