जोत मेरे सतगुरु वाली जगदी जरूर जी है,
अखियाँ तो नेड़े नेड़े कदमा तो दूर है,
जेह्डा इस ज्योत नु तके खुले दरबार ओहदे,
मथे ते उते रहंदा सतगुरु दा नूर है,
जोत मेरे सतगुरु वाली जगदी जरूर जी,
दिल कुटियाँ महल बना ले,
सांसा दी पोड़ी ला ले,
गुरा दा सहारा लेके चड़ना जरुर है,
जोत मेरे सतगुरु वाली जगदी जरूर जी
गुरा दे द्वारे जावी चरना दी धुल ले आवी,
चरना दी धूलि दुःख कट दी जरुर है,
जोत मेरे सतगुरु वाली जगदी जरूर जी
धोखा कदे न खावी पैर पीछे न पावी,
गुरा दा सहारा लेके जाना जरुर है,
जोत मेरे सतगुरु वाली जगदी जरूर जी