भोर भाई दिन चढ़ गया मेरे बाबा
हो रही जय जयकार मण्डप बिच,
आरती गुरु की ----- मेरे सच्चे स्वामी।।-2।।
किनके तट पर आश्रम विराजे -2-.
कौन करे श्रृंगार मंडप बिच ।।आरती।।
ओ गिरनार वाले ,,------//
संगम तट पर आश्रम विराजे ,
विप्र करें सृंगार मण्डप बिच।।आरती।।
ओ बनारस वाले,,------//
कौन जलावे दिवा द्वारे तेरे ,
कौन करे जै जै कार मण्डप बिच।।आरती।।
ओ अरैल वाले,-------//
साधू जलावें दिवा द्वारे तेरे ,
भक्त करें जै जै कार मण्डप बिच।।आरती।।
ओ त्रिवेणी वाले,,------//
कौन लगावें ध्यान समाधी,
कौन करे हो पुकार मण्डप बिच।।आरती।।
ओ प्रयाग वाले,,------//
सन्त लगावें ध्यान समाधी ,
करुणा करे हो पुकार मण्डप बिच।।आरती।।
ओ समाधि वाले,,-----//
कौन भाव से ध्वज फहराए ,ज
कौन करे रखवाली मण्डप बिच।।आरती।।
ओ सच्चे आश्रम वाले,,-----//
सत्य की जय का ध्वज फहराए
रक्षा करें हनुमान मण्डप बिच।।आरती।।
हम सबके रखवाले,,-----//
स्वर÷ परम् पूज्या संत करुणामयी गुरु माँ