म्हारो रामजी का चरणा मे मन लाग्यो​​

म्हारो रामजी का चरणा  मे  मन लाग्यो​​
​मन लाग्यो , म्हारो   तन लाग्यो ​
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........

ना भावे मने लाडू -  पेड़ा , ना  कोई माल मिठाई
म्हारो  तुलसी - चरणामर्त  में मन लाग्यो ​
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........  

ना भावे मने सोना - चाँदी ,  हीरा - मोती
म्हारो  तुलसी की माला में मन लाग्यो
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........

ना भावे मने महल -  मालियाँ ,  सौद  रजाई
म्हारो   रामजी का मंदिर में  लाग्यो
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........  

ना भावे मने भाई - बंधू , ना कोई सागा- सनेही   ​
म्हारो  साधु साधु - संता  में ही  मन लाग्यो
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........   ​

ना भावे मने तोता - मैना , न कोई और जिनावर
म्हारो गोमाता का चरना में मन लाग्यो
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........  

ना भवे मने बाग - बगीचा , ना कोई सैर सपाटा
म्हारो  मथुरा - बृंदावन  में मन लाग्यो
म्हारो   रामजी का चरणा  मे। ........  

रचना : शंकर शरण जी महाराज
स्वर  :  शंकर शरण जी महाराज
पता : हनुमान मंडल  (जयपुर- राजस्थान )
फ़ोन :9829125751 , 8118850122
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