तेरा भवन सजा जिन फूलो से

तेरा भवन सजा जिन फूलो से,
उन फूलो की महिमा ख़ास है माँ,
बड़ा गर्व है उनको किस्मत पर,
तेरा हुआ जो उनमे निवास है माँ,

उन फूलो को देवता नमन करे तेरी माला बनी जिन फूलो की,
तू झूलती जिन में माला पहन क्या शान है माँ उन झूलो की,
कभी ऐसी दया हम पर होगी तेरे भक्तो को पूरी आस है माँ,
तेरा भवन सजा जिन फूलो से...

कुछ फूल जो साँची निश्ठा के तेरी पावन पिंडियो पे है चढ़े,
माँ तेरी महक में उनकी महक गुली ये भाग्यवान  है सबसे बड़े,
हर भाग की रेखा बदलने की दिवय शक्ति तुम्हारे पास है माँ,
तेरा भवन सजा जिन फूलो से....

हो नित गगन की शत से सतरंगे तेरे मंदिरो में फूल जो बरसे माँ,
उन फॉलो को माथे लगाने को तेरे नाम के दीवाने तरसे माँ,
लाख पे रहे गई तेरी दया निर्दोष को ये विश्वाश है माँ,
तेरा भवन सजा जिन फूलो से,

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