मेरी करुणामई झंडेवाली माँ

मेरी करुणामई झंडेवाली माँ दर पे सिर को झुका के सकूं मिल गया,
तूने रेहमत करि झोलियाँ सब भरी बिन मांगे ही सब कुछ मुझे मिल गया
तेरी की बंदगी तूने दी ज़िंदगी समजो गम से मेरा फासला हो गया,
मेरी करुणामई झंडेवाली माँ दर पे सिर को झुका के सकूं मिल गया,

रात दिन मैं तेरा ध्यान धरता राहु हर गद्दी तेरा गुणगान करता राहु ॥
तेरे गन गान से ही तेरे ध्यान से दर पे सिर को झुका के सकूं मिल गया,
मेरी करुणामई झंडेवाली माँ दर पे सिर को झुका के सकूं मिल गया,

उम्र भर मेरी माँ तेरे चरणों की छा मुझको मिलती रहे और क्या चाहिए ॥
तेरे छू के चरण मिट गए सारे गम ज़िंदगी का अँधेरा मेरा ढल गया,
मेरी करुणामई झंडेवाली माँ दर पे सिर को झुका के सकूं मिल गया,


कोई चिंता नहीं तेरे होते हुए तेरी किरपा से काम सभी हो रहे ॥
हो गया बेफिक्र शर्मा शाम और सेहर तूने सिर पे मेरे हाथ माँ धर दिया,
मेरी करुणामई झंडेवाली माँ दर पे सिर को झुका के सकूं मिल गया,
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