मुझको अगर तू फूल बनाता हो सँवारे ,
मंदिर में तेरा रोज सजता ओ सँवारे,
तेरा जीकर जीकर इतर का तेरी बात इतर की,
मंदिर में तेरे होती है बरसात इतर की,
छिटा कोई तो मुझपे भी आता सँवारे,
मंदिर में तेरा रोज सजता ओ सँवारे,
मेरे श्याम काम आता मैं तेरे शृंगार में,
तेरे भक्त पिरो देते मुझे त्तेरे हार में,
मुझको गल्ले तू रोज लगता ओ सांवरे,
मंदिर में तेरा रोज सजता ओ सँवारे,
बन के गुलाब काँटों में रहना कबुल है,
किस्मत में मेरी अगर तेरे चरणों की धूल है,
संदीप सिर न दर से उठता सँवारे,
मंदिर में तेरा रोज सजता ओ सँवारे,