मांगते रहते तुझसे शाम सवेरे,
हाथ ये फैले रहते सामने तेरे,
तूने खूब दिया दातार तेरा बहुत बड़ा उपकार,
तेरा बहुत बड़ा उपकार तूने खूब दिया दातार
याद वो दिन मुझे खाली जेबो में मेरा दर दर भटकना हाय दर दर भटकना,
गैरो की क्या कहु अपनों की आंख में रह रह खटक न चारो तरफ थे मेरे गम के अँधेरे,
आखिर में आया बाबा द्वार पे तेरे,
तूने खूब दिया दातार.....
मेरी गरीबी के दिन थे वो कैसे तूने ही जाना बाबा तूने ही जाना,
तेरी किरपा से परिवार खा रहा भर पेट खाना,
देने को कुछ भी बाबा पास मेरे दबा जा रहा हु बाबा कर्ज मेरे तेरे,
तूने खूब दिया दातार........
माँगना छोड़ दू मुन्किल नहीं मेरा आद्दत न जाये मेरी आद्दत ना जाए,
तेरे आगे सँवारे कहता पवन मुझे लाज ना कान्हा लाज ना आये,
कभी तो मैं आता बाबा सांज सवेरे सदा हाथ फैले रहते सामने तेरे,
तूने खूब दिया दातार........