मुझे ओ सँवारे करुणा की गंगा में बहा लेना,
मैं जब लू आखरी सांसे,मुझे खाटू भुला लेना,
भुजे जब दीप नैनो के छवि इनमे तुम्हारी हो,
ना हो मेला ज़माने का प्रभु हो और पुजारी हो,
निभाई आज तक जैसे बस इसे ही निभा लेना,
मैं जब लू आखरी सांसे,मुझे खाटू भुला लेना,
पिता तुम हो तुम्ही माता तुम्ही बेहना भाई हो,
ओ सांवरिया तुम्ही पेहली तुम्ही अंतिम कमाई हो,
तुम्हे मैं चाहता हु अपने हिर्दय में छुपा लेना,
मैं जब लू आखरी सांसे,मुझे खाटू भुला लेना,
गवा दी ज़िंदगी मैंने ज़माने से निभाने में,
कभी हसने हँसाने में कभी रोने रुलाने में,
बचे बाकि जो पल चाहु मैं तेरे संग वीता लेना,
मैं जब लू आखरी सांसे,मुझे खाटू भुला लेना,