चारो धाम का फल पायेगा तू जिस के दीदार से

चारो धाम का फल पायेगा तू जिस के दीदार से,
ऐसा तीर्थ मिलेगा केवल मैया के दरबार पे।
झोली फैला के जाएगा, भर भर के मुरादे लाएगा॥

सुनती है सब की फ़रिआदे, राजा क्या भिखारी,
भक्त की नैया डोली जबभी, माँ ने पार उतारी।
इस कलयुग में जिस के दर से कोई ना जाए खाली,
और कोई अवतार नहीं वो माता शेरो वाली।
कलयुग में भय और शंका भागे जिसके दीदार से,
ऐसा तीर्थ मिलेगा केवल मैया के दरबार पे॥

तोड़ के सब बंधन माया के तेरी शरण जो आए,
तुझ को अर्पण हो के अपने सोये भाग्य जगाए।
जहां तेरी पूजा वो थल अम्बर से भी पावन,
तेरी भक्ति से बन जाए मन खुशिओं का आँगन।
जिस की शरण में आके छुटे यह मन हर विकार से,
ऐसा तीर्थ मिलेगा केवल मैया के दरबार पे॥

तेरी ममता का सागर मैया कितना है गहरा,
उसने सब कुछ पाया तेरे दर पे जो भी ठहरा।
मुझपे भी पुप्कार करदे ओ माता शेरों वाली,
सुनते हैं माँ भारती हैं तू सब की झोलिया खाली।
हर कोई सब कुछ पा जाता है जिस के दीदार से,
ऐसा तीर्थ मिलेगा केवल मैया के दरबार पे॥

झूठी माया झूठे जग की तेरा सच्चा द्वारा,
एक बार जो आए, वो आता है फिर दुबारा।
हर कोई अपने भाग्य जगाए आ कर तेरे दर पे,
सारे जग में जिम्मेदारी मैया तेरे दर पे।
जो सुन्दर है, जो पावन है इस सारे संसार से,
ऐसा तीर्थ मिलेगा केवल मैया के दरबार पे॥
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