जब सिर पर तेरा हाथ नाथ मैं क्यों डोलू,
क्यों डोलू मैं क्यों डोलू ,
मुझे मिल गया तेरा साथ नाथ मैं क्यों डोलू
जब से दर पकड़ा प्रभु तेरा,
दूर हुआ मेरे मन का अँधेरा,
मेरी बिगड़ी बनादो नाथ,
नाथ मैं क्यों डोलू,
मुझे मिल.......
जब से सौंप दी तुझको नैया,
सच मुच बन गए आप खवैया,
मेरी नैया लगादो पार,
नाथ मैं क्यों डोलू,
मुझे मिल.......
जीवन में जब छाई निराशा,
तुमने आन बड़ाई आशा,
कभी भाव बने कभी नाथ ,
नाथ मैं क्यों डोलू,
मुझे मिल......
अपने पख से कभी ना डोलू,
नाम तेरा सदा मुख से बोलू,
मेरी विनती सुनो दातार,
नाथ मैं क्यों डोलू,
मुझे मिल......