गजब की रचना तेरी है रचना कार

गजब की रचना तेरी है रचना कार,
सब को आकार देकर खुद रहा नीरा कार,
गजब की रचना तेरी है रचना कार,

इतने चेहरे है किस को तेरे जैसा संजू,
कितने जग है लेकिन है कहा मगर तू,
सब को भंडार दे कर खुश रहा सरकार,
गजब की रचना तेरी है रचना कार,

मनत पूरी हो उसकी जो भी तुझे पुकारे,
धरती आकाश पवन सब तूने है बनाये,
सब को घर बार देकर खुद का कहा घरवार,
गजब की रचना तेरी है रचना कार,
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