एक तारा भज दा जी

एक तारा भज दा जी हर वेले गोविन्द गोविन्द कहंदा,
जग कमली कहंदा है ते मेनू कोई फर्क नही पेंदा

एक तारा ले भिलनी बाई राम नाम सी गाया,
झूठे बेरा दा सी उसने प्रभु नु भोग लगाया,
जो को राम दा नाम सी मरदा,
भव सागर तर जांदा,
एक तारा भज दा जी .........

एक तारा ले धरुव भगत ने जंगला विच सी गाया,
हारी ने आके उस बच्चे नु चरना नाल लगाया,
सुख पावे ओ सन्मुख बह के जो नाम हरी दा गांदा,
एक तारा भज दा जी ....

एक तारा ले मीरा बाई गोविन्द गोविन्द गया,
ज़हर प्याले विचो मीरा हरी दा दर्शन पाया,
कष्ट कटे ओ सच्चे मन नाल जो नाम प्रभु दा गांदा,
एक तारा भज दा जी .....

एक तारा ले नारद जी सारी दुनिया तारी,
सात दीप नव खंड में गई प्रभु की महिमा भारी,
जो कोई गोविन्द नाम ना सुमरे नरका विच पेंदा,
एक तारा भज दा जी ........
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