खूब सजो शिंगार थारो धनि करा मनोहार बाबा
ओ लीले असवार संवारा मेहर करो थे मेहर करो
कई दिना सु सेठ संवारा यो दरबार सजाया जी
कद आवे ग्यारस आकी फुला नही समाया जी
छोटो सो परिवार म्हारो सेवा मे त्यार बाप जी
हुकम करो इक बार संवारा मेहर करो थे मेहर करो
फुला का शिंगासन ऊपर थाणे आज बिठाया जी
रकम रकम का भोग लगाया थारी ज्योत जलाया जी
मत कर सोच विचार म्हाने है थारी दरकार बाप जी
दर्शन दो इक बार संवारा मेहर करो मेहर करो
हारो का साथ निभाओ पांडव कुल अवतारी जी
प्रेम भाव से भजन सुनावे थाणे खूब रिजावे जी
लेवु नजर उतार थारी बोला जय जय कार बाप जी
कलयुग का अवतार संवारा मेहर करो थे मेहर करो