ये लखदातारी है लीले असवारी है,
तीन बाणधारी बाबा श्याम
करते सदा भक्तो पे दया.....
शीश दान देकर के, इसने वरदान था पाया,
कलयुग में भक्तो का, बाबा श्याम ये कहलाया,
हारे का, दूँगा का साथ, दूँगा साथ,
वचन था माँ को दिया,
ये लखदातारी है लीले.....
रूठी है किस्मत जिनकी, नही जिनका कोई सहारा,
हाथ पकड़ता उनका, जो जग में बेसहारा,
दानी है, दातार है, दातार है, माँ मोर्वी का लाल,
ये लखदातारी है लीले.....
निर्बल को बल निर्धन को, माया मेरे श्याम है देते,
हारे को जीत दिलाकर, अपनी शरण मे लेते,
"रूबी रिधम" की मेरे साँवरे, मेरे साँवरे, ने हर पल रखी लाज,
ये लखदातारी है लीले.....