राधे कब तुम किरपा करोगी ऊंचे बरसाने वाली,
जन्म जन्म की भटकी मैं राधे शरण तिहारी आई,
अब की देर मोहे पार लगाओ,
हे वृशवान दुलारी,
राधे कब तुम किरपा करोगी.....
गहरी नदियां नाव पुराणी पाप भोज अति भरी,
मलहा बन कर आओ मेरी राधे आ कर पार लगाओ,
ऊंचे बरसाने वाली राधे कब तुम किरपा करोगी,
पतित जान ठुकराओ न सवामणी अब तो अपनी कीजिये,
दया दृष्टि मोह पे कीजिये हे वृषवाणु दुलारी,
ऊंचे बरसाने वाली राधे कब तुम किरपा करोगी,
चरण कमल शोभा के सागर नैनं में बस जाओ,
पल पल छिन छिन कब हु न भूलू प्रेम सुदा बरसाओ,
ऊंचे बरसाने वाली राधे कब तुम किरपा करोगी,