जो देखे भाव भक्तो के प्रबल तो सांवरे रोये,
प्रेम से हो गया कोई समप्रित सांवरे रोये,
भले दरबार में वो लूट रही थी वो एक अबला नारी,
झुकाये सिर को बैठे थे वो पांडव वी बल करि,
जो देखा हाल वीरो की सबा का सांवरे रोये,
जो देखे भाव भक्तो के प्रबल तो सांवरे रोये,
मिलन करने को आया वीप निर्धन साथ जो खेला,
थे नंगे पाँव फटे कपडे नहीं था पास में डेला,
जो देखे पाँव में शाले सखा के सांवरे रोये.
जो देखे भाव भक्तो के प्रबल तो सांवरे रोये,
दिया माँ को वचन भी शन समर को निकला रण बंका,
माँगा था दान बन याचिक प्रभु के मन में थी शंका,
लिया जब शीश बालक का करो में सांवरे रोये,
जो देखे भाव भक्तो के प्रबल तो सांवरे रोये,
भगत के भाव के आगे सदा भगवान झुकते है,
समर्पित हो दया पाकर प्रेम के भाव विकते है,
वो गंगा गोरी जब बैकुंठ सिधारे सांवरे रोये,.
जो देखे भाव भक्तो के प्रबल तो सांवरे रोये,