हार की कोई चिंता नहीं पग पग होगी जीत,
लगी रे मेरी सांवरिया से प्रीत,
श्याम श्याम को नगमा गाये ये जीवन संगीत,
लगी रे मेरी सांवरिया से प्रीत,
मौज से होने लगा गुजारा बाबा ने हर काम सवारा,
सन मुख मिलता खड़ा संवारा जब जब उसको मन से पुकारा,
देता नहीं विश्वाश टूटने खाटू नरेश की रीत,
लगी रे मेरी सांवरिया से प्रीत.......
जब जब दुखो से घबराया सांवरिया सुध लेने आया,
मोह लोभ जो लगा भरमाने,
मोर छड़ी वाले ने बचाया,
ऐसा किया सँवारे ने जादू सबरा वविषये अतीर,
लगी रे मेरी सांवरिया से प्रीत.......
सरल श्याम का घर है तुम्हारा,
हाथ पकड़ कर तूने उभारा,
गम के थपेड़ो से डोलती नैया,
बनके खिवैया कन्हैया तूने तारे,
ममता कैसा दुबेगा वो कान्हा जिसका मीत,
लगी रे मेरी सांवरिया से प्रीत,