दर जो तेरा है पाया तो किस्मत खुल उठी है,
ववर में मेरी नैया अब तो रूकती नहीं है,
दर जो तेरा है पाया तो किस्मत खुल उठी है,
भटकता था मैं दर दर न कोई था हमारा,
मिला मुझको तू ऐसे जैसे तिनके को सहारा,
हाथ पकड़ के तूने दया ही दया करि है,
ववर में मेरी नैया अब तो रूकती नहीं है,
दर जो तेरा है पाया तो किस्मत खुल उठी है,
बड़ी बंजर थी किस्मत फूलो का न ठिकाना,
मैं था इक ऐसा राही जो था रास्तो से बेगाना,
तूने बगियाँ महकाई राह अब दिख गई है,
ववर में मेरी नैया अब तो रूकती नहीं है,
दर जो तेरा है पाया तो किस्मत खुल उठी है,
सुना कलिकाल में बस तुम्ही हो पालनहारा,
प्रमोद का ओ बाबा तुम्ही से चले गुजारा,
अक्षित को अब सही में ये जो ज़िंदगी मिली है,
ववर में मेरी नैया अब तो रूकती नहीं है,
दर जो तेरा है पाया तो किस्मत खुल उठी है,