हमें और जीने की चाहत न होती
अगर तुम न होते, अगर तुम न होते
तुम्हें देखके तो लगता है ऐसे
बहारों का मौसम आया हो जैसे
दिखाई न देती अंधेरों में ज्योती
अगर तुम न होते...
हमें जो तुम्हारा सहारा न मिलता
भंवर में ही रहते किनारा न मिलता
किनारे पे भी तो लहर आ डुबोती
अगर तुम न होते...
तुम्हें क्या बताऊं के तुम मेरे क्या हो
मेरी ज़िंदगी का तुम ही आसरा हो
इन आँखों के आँसू, न कहलाते मोती
अगर तुम न होते...
हर इक ग़म तुम्हारा सहेंगे खुशी से
करेंगे न शिकवा कभी भी किसी से
जहां मुझपे हंसता, खुशी मुझपे रोती
अगर तुम न होते..
हमें और जीने की चाहत न होती
अगर तुम न होते, अगर तुम न होते