मन रे अवसर बीता जाए,
किस माया में पड़ा वन्वारे हरी नाम विसराये
अवसर बीता जाए,
चार घडी में दिन ढल लेगा पंशी घर की और चलेगा
चल चल होगी हलचल होगी पल न देर सुहाए
अवसर बीता जाए,
छोड़ दियां सो हाथ न जोड़ लिया सो साथ न जाए ,
ऐसा धन है ओस का मोती हाथ लगे उम्लाये
अवसर बीता जाए,
अनजाने पत चले अकेला छोड़ चले दुनिया का मेला
लुट कर पित कर जीते हाथो घर बाबुल के आये
अवसर बीता जाए,