संतों गगन मंडल करो वासा ,
यहाँ देखो अज़ब तमाशा,
घर मेरो गगन सुरति मेरो चोखा,
चेतन चवर धुलावे,
इंग्ला पिंगला शुश मन नाली अनहद बीन बजावे,
संतों गगन मंडल करो वासा
अष्ट कमल दल पंखुड़ी विराजे,
उल्टा ध्यान लगावे,
पांच पचीस एक घर लावे,
तब धुन की सूद पावे,
संतों गगन मंडल करो वासा
विरिकूट घात ाशनान तो करले ,
रवि शः शुष्मन होइ,
हंसा खेल करत साजन संग एक महल में दोई,
संतों गगन मंडल करो वासा
बिना शीत के मोती,
कहे कबीर सुनो भई,
साधो निरखा निर्मल ज्योति,
संतों गगन मंडल करो वासा